जहरीली खेती (Toxic farming) क्या हैऔर इससे कैसे बचें

आधुनिक खेती की तकनीकें और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग ने उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इसके साथ ही एक नई समस्या उभर कर आई है – जहरीली खेती (Toxic farming) इस ब्लॉग पोस्ट में, हम समझेंगे कि जहरीली खेती क्या है, इसके प्रभाव, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

खेती भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और हमारी अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। समय के साथ, खेती के तरीकों में कई बदलाव हुए हैं।

जहरीली खेती (Toxic farming) क्या है ?

जहरीली खेती का मतलब है ऐसी खेती जिसमें अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य रसायनों का उपयोग किया जाता है। इन रसायनों का उद्देश्य फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देना, कीटों को नियंत्रित करना और उत्पादन बढ़ाना होता है। लेकिन, इनके अत्यधिक और अविवेकी उपयोग से भूमि, जल स्रोत और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रासायनिक उर्वरकऔर कीटनाशक

रासायनिक उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, और पोटाश फसलों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। कीटनाशक फसलों को कीटों से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। लेकिन, जब इनका उपयोग अधिक मात्रा में या अनुचित तरीके से किया जाता है, तो ये जहरीले बन जाते हैं। ये रसायन मिट्टी की उर्वरता को खत्म कर सकते हैं, जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकते हैं और हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकते हैं।

जीन संवर्धित फसलें (Genetically enhanced crops)

जीन संवर्धित (GM) फसलें ऐसी फसलें होती हैं जिनमें आनुवंशिक परिवर्तन करके उन्हें अधिक उत्पादन, कीट प्रतिरोध और अन्य गुण प्रदान किए जाते हैं। हालांकि, इन फसलों के दीर्घकालिक प्रभावों पर अभी भी बहस जारी है, और इन्हें भी जहरीली खेती का हिस्सा माना जा सकता है।

जहरीली खेती के प्रभाव

पर्यावरण पर प्रभाव :

मिट्टी की उर्वरता में कमी: रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को कम कर देता है। मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं और फफूंदों की संख्या घट जाती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

जल प्रदूषण: कीटनाशक और उर्वरक बारिश के पानी के साथ बहकर जल स्रोतों में मिल जाते हैं। इससे नदियों, झीलों और भूमिगत जल में प्रदूषण फैलता है, जिससे पीने के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।

जैव विविधता पर प्रभाव: कीटनाशक और रसायनों के उपयोग से न केवल कीट मारे जाते हैं, बल्कि लाभकारी कीट, पक्षी और अन्य जीव भी प्रभावित होते हैं। इससे जैव विविधता घटती है और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव :

स्वास्थ्य समस्याएं: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अवशेष हमारे भोजन में रह सकते हैं, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। इसके कारण कैंसर, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव: जहरीली खेती के अवशेष गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से हानिकारक हो सकते हैं। इनके कारण शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है।

जहरीली खेती से कैसे बचें ?

जैविक खेती

जैविक खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प है जो हमें जहरीली खेती से बचने में मदद कर सकता है। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है।

कम्पोस्ट और ग्रीन खाद: कम्पोस्ट और ग्रीन खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह प्राकृतिक तरीके से मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करता है।

फसल चक्र और मिश्रित खेती: फसल चक्र और मिश्रित खेती अपनाने से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और कीटों का प्रकोप भी कम होता है।

प्राकृतिक कीटनाशक: नीम, तंबाकू और लहसुन जैसी प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग कीट नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। इससे फसलों पर रासायनिक अवशेष नहीं रहते।

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM)

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) एक ऐसी विधि है जिसमें कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक और गैर-रासायनिक तरीकों का समायोजन किया जाता है। इसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हो सकते हैं:

जैविक नियंत्रण: लाभकारी कीटों और जीवों का उपयोग करके हानिकारक कीटों को नियंत्रित किया जाता है।

यांत्रिक नियंत्रण: जाल, ट्रैप और अन्य यांत्रिक विधियों का उपयोग करके कीटों को नियंत्रित किया जाता है।

सांस्कृतिक नियंत्रण: फसल चक्र, मिश्रित खेती और अन्य सांस्कृतिक विधियों का उपयोग करके कीटों का प्रबंधन किया जाता है।

शिक्षा और जागरूकता

खेती करने वाले किसानों को जहरीली खेती के खतरों और जैविक खेती के लाभों के बारे में शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रचार अभियानों का आयोजन किया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह: किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए और खेती के आधुनिक और सुरक्षित तरीकों को अपनाना चाहिए।

सामुदायिक सहयोग: सामुदायिक सहयोग और साझेदारी से भी खेती के सुरक्षित और टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा दिया जा सकता है।

सरकारी नीतियां और योजनाएं

सरकार को जहरीली खेती को नियंत्रित करने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और योजनाएं बनानी चाहिए। इसमें निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

प्रोत्साहन और सब्सिडी: जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान किए जा सकते हैं।

कानूनी नियंत्रण: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग पर सख्त नियंत्रण और नियम लागू किए जा सकते हैं।

प्रशिक्षण और संसाधन: किसानों को जैविक खेती के तरीकों का प्रशिक्षण दिया जा सकता है और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

निष्कर्ष :

जहरीली खेती आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल रही है। इसके प्रभावों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि हम सुरक्षित और टिकाऊ खेती के तरीकों को अपनाएं। जैविक खेती, एकीकृत कीट प्रबंधन, शिक्षा और जागरूकता, और सरकारी नीतियों के माध्यम से हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

खेती न केवल हमारे लिए भोजन और आजीविका का स्रोत है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, हमें जिम्मेदारी से खेती करनी चाहिए और ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखें।

यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो निश्चित रूप से हम जहरीली खेती से बच सकते हैं और एक स्वस्थ, सुरक्षित और टिकाऊ कृषि प्रणाली की ओर बढ़ सकते हैं।


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