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Best Poultry Farming Concept in Hindi मुर्गी पालन कैसे करें, यहां जानें

यदि आप गांव में रहते हैं और एक व्यवसाय या नौकरी की तलाश में हैं, तो मुर्गी पालन (Poultry farming) का व्यवसाय आपके लिए बेहतर विकल्प है। यह लेख मुर्गी पालन कैसे करें (Murgi Palan Kaise Kare) के बारे में सब कुछ बताता है, जैसे चूजा खरीदने से लेकर मुर्गियों की मार्केटिंग तक।

गौरतलब है कि आज लोगों को मुर्गी पालन का व्यवसाय तेजी से आकर्षित कर रहा है। यदि आप किसान हैं, बेरोजगार हैं, या इंजीनियर हैं, तो मुर्गी पालन (poultry farming) आपके लिए एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है। हजारों लोग इस व्यवसाय में शामिल होकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं।

आप छोटे स्तर पर अपने घर से ही मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। आप पांच मुर्गियों से लेकर हजार मुर्गियों तक से शुरू कर सकते हैं। सिर्फ कुछ मुर्गियों से शुरू करके बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

ऐसे करें Poultry farming की शुरूआत

मुर्गियों से घर प्रदूषित नहीं हो इसके लिए मुर्गी पालन की शुरुआत अपने घर से थोड़ी दूरी पर करनी चाहिए। Poultry farming के लिए ऐसी जगह चुनें जहां साफ पानी, हवा-धूप और वाहनों के आने-जाने का अच्छा इंतजाम हो। शेड बनाने के लिए जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए और खुली होनी चाहिए। ताकि मुर्गियों को हवा मिलती रहे और किसी बीमारी का खतरा न हो, स्थान खुला और सुरक्षित होना चाहिए। 100 मुर्गियों के लिए 100 X 200 फीट जमीन पर्याप्त होता है।150 मुर्गियों से शुरू करने पर आपको 150 से 200 फीट जमीन की आवश्यकता होगी।

सबसे पहले मुर्गियों के बारे में समझें

यदि आप एक मुर्गी पालन उद्यमी हैं, तो आपको पहले निर्णय लेना होगा कि आप मुर्गी की मीट या अंडे के लिए खोलना चाहते हैं या दोनों. क्यों की मुर्गी तीन प्रकार की होती हैं।लेयर मुर्गी,ब्रॉयलर मुर्गी,देसी मुर्गी

लेयर मुर्गी पालन (layer farming)

लेयर मुर्गी अंडे देती है। ये चार से पांच महीने की उम्र में अंडे देना शुरू करती हैं। इसके बाद लगभग एक वर्ष तक ये अंडे देती रहती हैं। जब वे 16 महीने के हो जाते हैं, तो उनका मीट बेच दिया जाता है।

ब्रॉयलर मुर्गी पालन (Broiler poultry farming)

इनका प्रयोग मीट में होता है। दूसरे प्रकार की मुर्गी की तुलना में ये बहुत जल्दी बढ़ती हैं। यही कारण है कि वे मीट के लिए सबसे अच्छे हैं।

देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan)

आखिरी होती है देसी मुर्गी, जो अंडे और मांस दोनों देती है। आप किस तरह की मुर्गी पालन करना चाहते हैं, उसके बाद ही चूजा खरीदना होगा।

बिजनेस के लिए मुर्गी की नस्लें

Best Poultry Farming Concept in Hindi मुर्गी पालन कैसे करें, यहां जानें

हम आपको देसी मुर्गी की कुछ शानदार प्रजातियां बताने जा रहे हैं। तो चलिए देखते हैं कौन सी नस्ल आपके व्यवसाय में चार चांद लगा सकती है।

असेल नस्ल (Aseel) 

इन जातियों को उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में ज्यादातर पाला जाता है। इस नस्ल का मुर्गी 4 से 3 किलोग्राम वजन की होती है और मुर्गी 3 से 4 किलोग्राम वजन की होती है। इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों के चमकीले बाल और लंबे पैर होते हैं।। मानव जाति इस नस्ल के मुर्गों को मैदान में लड़ाई के खेल के लिए भी पालते हैं क्योंकि उनका व्यवहार उग्र होता है।

कड़कनाथ नस्ल (Kadaknath Breed)

इस नस्ल का मूल नाम कलामासी था, जिसका अर्थ है काले मांस वाला पक्षी। मध्य प्रदेश में कड़कनाथ नस्ल सबसे अधिक है। इस नस्ल का मीट 25 प्रतिशत प्रोटीन से बना है। जो दूसरे प्रकार के मीट से अधिक है। कड़कनाथ नस्ल का मीट भी कई प्रकार की दवाइयों में मिलता है। इसलिए ये नस्ल व्यापार के लिए बहुत फायदेमंद हैं। ये मुर्गिया एक वर्ष में लगभग आठ अंडे देती हैं। जेट ब्लैक, पेन्सिल्ड और गोल्डेन इस नस्ल की प्रमुख किस्में हैं।

चिटागोंग नस्ल (Chittagong) 

ये नस्ल सबसे अच्छी मानी जाती हैं। यह मलय चिकन भी कहलाता है। इस नस्ल के मुर्गे 2.5 फीट लंबे होते हैं और 4.5 से 5 किलोग्राम वजनी होते हैं। बाकी नस्लों की तुलना में इनके पैर और गर्दन लंबे होते हैं। इस नस्ल के पास प्रति वर्ष 70 से 120 अंडे देने की क्षमता है।

स्वरनाथ नस्ल (Swarnath)

इस नस्ल की मुर्गियों को आसानी से घर के पीछे पाला जा सकता है। ये 22 से 23 हफ्ते में पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं और 3 से 4 किलोग्राम वजन के होते है। इनकी प्रतिवर्ष 180–190 अंडे देने की क्षमता है।

वनराजा नस्ल (Vanraja Breed)

यह प्रजाति शुरुआत में मुर्गी पालन के लिए सबसे अच्छी है। 3 महीने में ये मुर्गी 120 से 130 अंडे देती है और 2.5 से 5 किलो तक वजन की होती है। इसके बावजूद, ये जातियां अन्य जातियों की तुलना में थोड़ा शांत रहती हैं।

मुर्गी पालन के लिए चूजे कहां से लें?

अगर आपने स्थान और मुर्गी का प्रकार चुना है, तो अब चूजों को लाने का विचार करना होगा। यदि आप अपने व्यापार में अधिक लाभ चाहते हैं तो मुर्गी पालन में बेहतर और स्वस्थ चूजों का चयन करना बेहद जरूरी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी चूजा बीमार न हो, क्योंकि अगर एक बीमार चूजा है तो वह दूसरे को भी बीमार कर देगा. इसलिए, किसी विशेषज्ञ की मदद से ही चूजों को लाएं। 1 चूजे की कीमत लगभग 30 से 35 रुपये होती है। 100 चूजों का मूल्य 3000 से 3500 रुपये तक हो सकता है।

मुर्गियों के लिए आहार प्रबंधन

मुर्गियों के लिए एक सुरक्षित स्थान चुनने के बाद आपको उनकी उचित देखभाल पर ध्यान देना होगा। शेड में पर्याप्त पानी की व्यवस्था करनी होगी। 1 ब्रॉयलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2 से 3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है। सप्ताह में दो बार चूजा डालने पर पानी की मात्रा प्रति सौ चूजों पर खर्च होगी। चूजों और मुर्गियों को सुखी जमीन में रखना चाहिए। उन्हें गीली जगह में रखने से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। शेड को कुछ ऐसा बनाएं। ताकि कम खर्च में बेहतर परिणाम मिले,

व्यावसायिक मुर्गी पालन में अच्छे परिणाम के लिए चारा और चारे को सही ढंग से प्रबंधित किया जाना बेहद महत्वपूर्ण है। यहां यह ध्यान देना बेहद जरूरी है कि हमारे उपलब्ध चारा में सभी आवश्यक पोषक तत्व जैसे वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और मिनरल्स हों। ठीक से पचने और जल्दी से विकास करने के लिए अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो नियमित पोषक तत्वों के अतिरिक्त हैं।

चूजों को अधिक विकास देना चाहते हैं तो उन्हें मक्का या अलसी भी दे सकते हैं; ये दोनों ही उनके विकास में बहुत फायदेमंद हैं। चूजे को सही खाना मिलने पर एक किलो वजन करने में लगभग 40 से 45 दिन लग सकते हैं। वजन बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए खाने पर विशेष ध्यान दें।

पॉल्ट्री फीड/चारे के प्रकार (Types of Poultry Feed)

चूजे की उम्र चारे की किस्म
0-10 दिनप्री स्टार्टर
11-21 दिनस्टार्टर
22 दिन से ऊपरफिनिशर
अब आप मुर्गियां खरीदने लगे और उनके लिए खाना भी देने लगे, लेकिन, क्या आप मुर्गियों को क्या बीमारियां होती हैं? बीमारी की रोकथाम कैसे की जा सकती है, उनके लक्षण क्या हैं? टीकाकरण कैसे किया जाता है ये जानते है? ये भी जानना महत्वपूर्ण है।

मुर्गियों में होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियां, बचाव और ट्रीटमेंट

रानीखेत रोग

ये मुर्गियों के लिए सबसे खतरनाक बीमारियां हैं। न्यू कैसल भी इसका नाम है। मुर्गियों को सांस लेने में परेशानी होती है और वे मर जाते हैं, यह एक संक्रामक रोग है जो पैरामाइक्सो वायरस के कारण होता है,जो मुर्गी पालन के लिए बहुत खतरनाक है। संक्रमित मुर्गियां अंडा देना बंद कर देती हैं।

लक्षण: 

रानीखेत रोग से संक्रमित मुर्गियों तेज बुखार से पीड़ित होती है और सांस लेने में मुश्किल होती है। उत्पादन भी कम हो जाता है।

ट्रीटमेंट: 

अब तक इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं बनाया गया है। टीकाकरण इससे बचाव कर सकता है। R2B और NDK वैक्सीन अहम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मुर्गियों को 7 दिन, 28 दिन और 10 हफ्ते में टीकाकरण करना सही है।

बर्ड फ्लू: 

यह मुर्गियों और अन्य पक्षियों को मार डालता है। इन्फ्लूएंजा-ए वायरस इस बीमारी को पैदा करता है। एक मुर्गी में ये संक्रमण दूसरी मुर्गियों में भी फैलता है। ये वायरस संक्रमित मुर्गी की आंखों और नाक से निकलने वाले स्राव, लार और बीट में पाए जाते हैं। 3 से 5 दिनों के भीतर लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

परीक्षण:

मुर्गियों की गर्दन और सिर सूज जाते हैं। अंडे देने की क्षमता घटती है। मुर्गियों खाना-पीना छोड़ देती है और तेजी से मरने लगती हैं।

ट्रीटमेंट:

बर्ड फ्लू के लिए कोई मानक उपचार नहीं है। रोग से बचने का एकमात्र उपाय है, जो मुर्गी में ये लक्षण दिख रहे है उनको अलग कर दे

फाउल पॉक्स: 

यह बीमारी मुर्गियों में छोटी-छोटी फुंसियां पैदा करती है। इन्हें सिर और आंख की पुतलियों की त्वचा पर आसानी से देखा जा सकता है। ये भी एक वायरस जनित बीमारी है, जो तेजी से फैलता है।

लक्षण: 

आंखें पानी से भरने लगती हैं। मुर्गियां खाना-पीना कम कर देती हैं और सांस लेने में मुश्किल होती है। अंडे देने की क्षमता घटती है। मुंह में छाले होते हैं। मुर्गी भी मर जाती है जब संक्रमण बढ़ता है।

देखा जाए तो बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है। लेयर मुर्गियों में वैक्सीनेशन 6 से 8 हफ्तों में किया जा सकता है, लेकिन इससे बचाया जा सकता है।

भारत में बैकयॉर्ड पोल्ट्री फार्मिंग की स्थिति

मुर्गियों की मार्केटिंग 

पोल्ट्री खेती का अंतिम चरण मार्केटिंग है। यदि आप अंडे बेचते हैं तो आपको चार से छह रुपये बाजार मूल्य मिल सकते हैं। यदि आप मुर्गी को बेचते हैं, तो वजन के हिसाब से आपको पैसे मिलेंगे। 1 किलो ब्रॉयलर मुर्गा की कीमत कभी कुछ कम तो कभी कुछ ज्यादा हो सकती है, उदाहरण के लिए। 100 मुर्गों को बेचने पर आपको लगभग 17000 से 20,000 रुपये का मुनाफा मिल सकता है। और लेयर बर्ड फार्म में आपको अच्छी मुनाफा देखने को मिलता है, इस में चार महीने बाद चूजा अंडे देने योग्य हो जाता है। 10000 चूजों के साथ लेयर बर्ड फार्म शुरू करने पर आपको प्रतिदिन 150000 रुपये मिलेंगे।


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