मोती की खेती कैसे होती है | Pearl Farming in Hindi | मोती की कीमत क्या है

आज हम आपको मोती की खेती कैसे होती है (Pearl Farming) उसके बारे बताने वाले है। वैसे तो पुराने दिनों से किसान भाई पारंपरिक खेती जैसे अनाज और सब्जी का उत्पादन करते आ रहे हैं। हालाँकि, किसान भाइयों द्वारा अधिक लाभ कमाने के लिए नए-नए उपाय किये जा रहे हैं, जो अधिक लाभ दे सके।

प्राचीन काल से ही मोती, एक चमकीला और कठोर बहुमूल्य रत्न, आभूषणों और सजावट की चीजों में उपयोग किया जाता है। भारत में कम उत्पादित मोती दूसरे देशों में निर्यात की जाती है। किसान भाई मोती की खेती कर अधिक लाभ भी कमा सकते हैं अगर वे चाहें तो इसकी खेती में कम लागत लगाकर अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि इसमें अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती।

मोती को प्राकृतिक रूप से तैयार करने में एक वर्ष का समय लगता है। यह मोती घोंघा नामक जीव प्राकृतिक रूप से बनाता है। लेकिन अब इसका उत्पादन ऐसे भी होता है | यदि आप भी मोती की खेती करना चाहते हैं, तो इस लेख में हम मोती की खेती
(Pearl Farming) कैसे होती है और मोती की कीमत क्या है? इसके संबंध में बताने वाले है।

मोती की खेती के लिए तालाब तैयार करे (Pearl Cultivation Prepare Pond)

मोती सीधे पानी में बोया जाता है, न कि भूमि में। इसके लिए आपको एक तालाब बनाना होगा | जितनी सीपको तैयार करना चाहते हैं, उतना बड़ा तालाब का निर्माण भी करना होगा। तालाब बनाने के लिए जमीन में गड्डा बनाकर सीमेंट का होद बना ले, इसके बाद पॉलीथीन को तालाब में डालकर पानी भर दे, यदि गड्डा कम पानी सोखता है, तो पॉलीथीन लगाने की जरूरत नहीं है।

सीप की तैयारी (Oyster Preparation)

मोती की खेती कैसे होती है | Pearl Farming in Hindi | मोती की कीमत क्या है

सीप ही मोती बनाते हैं, इसलिए उन्हें नदियों से लाना होता है, लेकिन अब बाजार में भी सीप आसानी से मिल जाते हैं. सीप साफ पानी का उपयोग करते हैं, गन्दा पानी नहीं खाते. सीप अपने भोजन के लिए काई (सिवाल) का उपयोग करते हैं।

मोती के प्रकार (Pearls Types)

मुख्यतः मोती तीन प्रकार के होते हैं, जो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए बनाए जाते हैं।

केवीटी: इस तरह की मोती सीप को बदलकर उसके अंदर बाहरी शरीर डालकर तैयार करते हैं। किसी भी आकार की मोती इसमें बनाई जा सकती है। इस तरह के मोती की कीमत हज़ार रुपये है, जो बाजार में उपलब्ध हैं।

गोनट मोती: यह प्राकृतिक रूप से तैयार गोलाकार मोती है। चमक और आकार के आधार पर इस तरह की मोती की कीमत 1,000 से 50,000 रुपये तक होती है।

मेंटलटीसू: इस तरह का सीप को खाया जाता है। इस तरह की मोती को सीप के टुकड़े के अंदर डालकर बनाते हैं। इस तरह की मोती की बाजार मांग बहुत अधिक है। टॉनिक और च्यवनप्राश बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है |

मोती की खेती का सही समय (Pearl Farming Right Time)

मोती उत्पादन के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा मन जाता है | मोती की खेती के लिए अक्टूबर और दिसंबर महीने सबसे अच्छे होते हैं। बीड को एक सीप में डालकर शल्य क्रिया द्वारा बनाया जाता है उसे कुछ समय तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखकर तालाब में डाल देते हैं। इसके बाद उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्रदान किए जाते हैं |

सीप का ऑपरेशन (Oyster Operation)

मोती को प्राप्त करने के लिए सीप का ऑपरेशन किया जाता है | सीप के भीतरी भाग में 4 से 6 मिलीमीटर के आकार का रेत का कण या बीड़ को शल्य क्रिया द्वारा डालते है | शल्य क्रिया के दौरान सीप के मुख को ज्यादा न खोले, इससे सीप के मरने का खतरा होता है | जो पैदावार को प्रभावित करती है |

मोती को कैसे तैयार करे (Pearls Preparation)

मोती बनाने के लिए तीन वर्ष पुरानी सीप की आवश्यकता होती है। इसके बाद इसे तैयार करने में 8 से 14 महीने लगते हैं। इस दौरान मोती को तैयार करने के लिए सीप चलती है इसके लिए शल्य क्रिया की जाती है, जिसमें बाहरी शरीर या रेत के कण डाले जाते हैं। इस मोती को घोंघा, जो कई रंगों में पाया जाता है, बनाता है।

जब रेत का एक कण सीप के अंदर चुभता है, तो घोंघा एक तरल चिकना पदार्थ छोड़ता है। यही तरल पदार्थ कण पर एक परत बनाता रहता है, जिससे एक मोती बनता है, तैयार मोती सिल्वर रंग का रहता है | इसके बाद मोती को सीप के अंदर से निकालकर उसे बाजार में बेचने के लिए भेज देते हैं।

सीप का रखरखाव (Oyster Maintenance)

शल्य क्रिया के बाद बीज की सही देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है। शल्य क्रिया के दौरान सीप को 10 दिनों तक एंटी बायोटिक और प्राकृतिक चारे में रखा जाता है। नायलॉन बैग को पानी में भिगोने के लिए लकड़ी या पीवीसी पाइप से बांध देते है। फिर उन्हें एक से डेढ़ फ़ीट नीचे पानी में भिगो देते है। इस दौरान सीप को हर दिन पानी से निकालकर चेक करना होता है। क्योंकि सीप मरने पर बड़ी मात्रा में अमोनिया छोड़ देता है, जिससे पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से सीप मरने का खतरा और बढ़ जाता है

यही कारण है कि पानी में अमोनिया की मात्रा को नियमित रूप से जांचते रहना चाहिए। यदि पानी में बहुत अधिक अमोनिया है, तो उसे निकालकर ताजे पानी से भर दें। इससे सीप तेजी से मोती बनाने का कार्य करता है, और मोती 8 से 14 महीने में तैयार हो जाता है। मोतियों को निकालने के बाद सीप का रंग सिल्वर हो जाता है

मोती की कीमत क्या है (Pearl Price)

500 सीपो की खेती में 25 हजार रुपये तक खर्च आता है। इसमें पांच सौ सीप से पांच सौ मोती मिलते हैं, यानी पांच सौ सीप से पांच सौ मोती मिलते हैं इस दौरान, शल्य क्रिया के दौरान बीस सीप मरने पर भी 450 सीप बच जाते हैं, जिससे 450 मोती प्राप्त होते हैं। किसान भाई 500 सीप से लगभग सवा लाख तक की कमाई कर सकते हैं, क्योंकि इन मोतियों का बाजार भाव 250 रूपए प्रति मोती होता है।

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