How to collect best soil samples for Soil Testing in Hindi(मृदा परीक्षण के लिए सही नमूना कैसे लें)

मृदा परीक्षण (Soil Testing) क्यों की जाती है, आप सब जानते होंगे। जब आप कोई फसल लगाने जा रहे हैं तो मिट्टी का परीक्षण करना आवश्यक है। या दो से तीन साल पे एक बार मिट्टी की जांच जरूर करनी चाहिए। जब आप मिट्टी की जाँच करायेगे तो आपको एक रिपोर्ट कार्ड दिया जायेगा,

जिससे आप जान सकते हैं कि आपके खेत में कौन से तत्वों की कमी है और कौन से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इससे आप अपने फसलों में पोषक तत्वों को व्यवस्थित रूप से नियंत्रित कर सकते हैं। पोषक तत्वों को बिना मृदा परीक्षण किए खेत में डालने से कुछ तत्वों की अधिकता होती है। जिसके कारन मिट्टी के उर्वरा शक्ति पे प्रभाब, पौधों में तरह- तरह के रोग और कीट समस्या और साथ में पैसो की बर्बादी भी हो सकती है। इसलिए आवश्यक है की मिट्टी की जांच दो या तीन साल के अंतर पर जरूर कराये

उदाहरण के तौर पर, नाइट्रोजन युक्त उर्वरक (नाइट्रोजन तत्व) की अधिकता से धान के खेत में भूरा धब्बा रोग (Brown Spot) और शीथ ब्लाइट जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है। और इसी प्रकार, जिंक तत्व की कमी धान में खैरा रोग पैदा करती है।

सीधे शब्दों में, अगर बताया जाय तो आप मृदा जांच कराकर जान सकते हैं कि आपके खेत में कौन से तत्व उपलब्ध हैं और कौन से कम हैं।

मृदा परीक्षण (Soil Testing) कहाँ करना चाहिए? –

जैसा कि आप सभी जानते हैं, मृदा जांच करने के लिए सरकारी और privet दोनों स्थान पे जा सकते हैं। लेकिन आप पहले सरकारी स्थान का चयन करे क्यूकी सरकारी में आपको कोई फीस नहीं देनी होगी सारा काम फ्री में हो जायेगा, दोस्तों, हर राज्य के सभी जिला में एक कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK) होता है। यहाँ आप अपने मृदा जांच का नमूना लेकर जाएंगे और हर आवश्यक जानकारी देंगे। तो आपको लगभग एक सप्ताह के भीतर ही रिपोर्ट कॉर्ड में आपकी मिट्टी की पूरी जानकारी मिल जाती है। और ये सुबिधा अब हरेक ब्लॉक में भी उपलबध है , आप अपने ब्लॉक में जाकर भी मिट्टी की जांच करा सकते है

मृदा परीक्षण के लिए नमूना लेने की प्रक्रिया

मित्रों, मृदा परीक्षण के लिए मिट्टी का नमूना कहाँ से लेते हैं? किन स्थानों से ले रहे हैं? और आप इसे कैसे लेते हैं ये जानना बहुत जरुरी है । यदि आप गलत तरीके से नमूना लेते हैं, तो आपकी जांच रिपोर्ट में सही जानकारी नहीं होगी।

आइये जानते जी की मृदा परीक्षण के लिए नमूना कैसे ले –

  • पहले, आप अपने खेत में छह स्थानों का पता लगाएं जहां से आप नमूना लेना चाहते हैं. फिर, जिस स्थान से आप नमूना लेना चाहते हैं, उसे साफ करे, जैसे घास या फसल के अवशेषों को हटाना होता है ।
  • अब नमूना लेने के लिए 6 इंच गहरा, 6 इंच लंबा और 4 इंच चौड़ा V-आकार का गड्ढा फावड़े, खुरपी या किसी भी उपयुक्त औजार से बनाएं।
  • अब दीवार से ऊपर लगभग 1 से 2 इंच नीचे इस गड्ढे के किनारे से मिट्टी निकाले उसके बाद जमा हुई मिट्टी को निकालकर साफ जगह पर रखें।
  • आप छह स्थानों से मिट्टी इसी तरह इकट्ठा करें।
  • अब एक खेत के छह स्थानों से मिट्टी लेकर उसे अच्छी तरह मिला लें. अगर कोई कंकड़ पत्थर, घास या जड़ हो तो उसे निकाल दें और उसे एक साफ जगह पर या किसी साफ बोरी पर इकट्ठा करें
  • अब अच्छी तरह मिलाएं गए मिट्टी को चार बराबर भागों में बांट दें. दो भाग को निकाल कर फेंक दें और बाकी दो को रखें।
  • अब दो भागों को फिर से मिलाकर चार बराबर भागों में बांट दें, फिर दोनों को हटा दें।
  • जब तक आधा किलो मिट्टी नहीं बचेगी, तब तक हम यही करेंगे।
  • परीक्षण के लिए आधा किलो मिट्टी का नमूना सही होता है।
  • अब आधा किलो मिट्टी के बचे हुए नमूने को एक साफ थैले में भरें।
  • अब इस बैग या थैले में एक पर्ची डालनी होगी जिसमें—
किसान का नाम –
पूरा पता –
खसरा नंबर –
मोबाइल नंबर- 
और आप क्या फसल लेना चाहते हैं उसकी जानकारी –
  • 1 पर्ची बैग के अंदर और दूसरी पर्ची बैंक के बाहर बांध दें या लटका दें। यह हमारा नमूना परीक्षण करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अब इसे कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में भेजें। जब भी इस नमूने की जांच की जाएगी, आप उसका नतीजा पाएंगे, जिसके बाद आप इसके अनुसार या हिसाब से खेती कर सकेंगे।

मृदा परीक्षण के लिए नमूना लेते समय सावधानियां :- 

  • मिट्टी का नमूना लेते समय आपको इस बात का पता होना चाहिए कि
  • आप एक एकड़ में मिट्टी का नमूना लेने के लिए कम से कम छह या सात स्थानों से नमूना लेना चाहिए। खेत के चार किनारे और दो मध्य में होते हैं।
  • उस स्थान से मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिए जहां खाद, गोबर या राख के ढेर हैं।
  • पेड़ या नाली के पास नमूना भी नहीं लेना चाहिए।
  • नमूना मेड से थोड़ी दूरी पर लेना चाहिए।
  • आप अपने खेत में चार से छह स्थानों पर नमूने ले सकते हैं, ऊंचाई और नीचाई के आधार पर।
  • उस खेत से नमूना नहीं लेना चाहिए जहां फसल लगी है; वे सिर्फ तब ले सकते हैं जब खेत खाली हो या फसल कट गई हो।
  • जिस स्थान से नमूना ले रहे हैं, उसे साफ करके घास या फसल के अवशेषों से मुक्त कर दें।
  • मिट्टी का नमूना एक साफ थैले में इकट्ठा करें। नमूना लाने के लिए किसी भी खाद या उर्वरक के बोरे या थैले में इकट्ठा न करें; आप जानते हैं कि इससे क्या हो सकता है।

मृदा परीक्षण के फायदे

आप पहले ही समझ गए होंगे कि मृदा जांच से किसानों को क्या फायदा हो सकता है, लेकिन कुछ बिंदुओं में यह लाभ जानते हैं:

  • मृदा जांच से मृदा की उर्वरता स्तर का पता चलता है कि हमारी मृदा में कौन से तत्व की कमी है और कौन से तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है ।
  • इससे हम जो फसल उगा रहे हैं उसमें खाद या उर्वरक की मात्रा निर्धारित होती है।
  • यह भी पता चलता है कि मिट्टी ऊसर या अनुपजाऊ नहीं हो रही है।
  • कृषक इससे उर्वरकों का अच्छी तरह से प्रबंधन करके अधिक लागत कम कर सकते हैं।
  • फसल को मृदा जनित रोगों से बचाया जा सकता है।
  • 3 साल तक उस खेत में मृदा परीक्षण नहीं करना पड़ता। 3 साल बाद मृदा परीक्षण की जांच फिर से करा सकते हैं।

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