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Complete information about fish farming business / मछली पालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी

आज मैं आपको fish farming (Complete information about fish farming) पे पूरी कम्पलीट जानकारी देने वाला हूँ। भारत सरकार किसानों की आय को लगातार बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार ने कृषि और कुछ छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। ताकि किसान भाई खेती के अलावा अन्य स्रोतों से आसानी से अपनी आजीविका चला सकें और कमाई भी कर सकें। इन्ही छोटे उद्योगों को सरकारी सब्सिडी भी सरकार देती है।

जिससे किसान भाइयों को छोटे उद्योगों को लगाने में मदद मिल सके। इन छोटे उद्यमों में से एक है मछली पालन। जो हाल ही में किसान भाइयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। इसकी आपार संभावनाओं को देखते हुए किसान भाइयों का झुकाव इसकी तरफ बढ़ने लगा है। आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूँ। फिश फार्मिंग के अलाबे आपको 10 ऐसे एग्रीबिजनेस आइडियाज भी आपको इस ब्लॉग में बताया हु जो आप पढ़ सकते है

Fish farming क्यों करें?

वर्तमान में मछली की मांग मार्किट में बहुत अधिक है। इनको बेचने में भी कोई अतिरिक्त बाधा नहीं होती। इसके अलावा, मछली पालन उद्योग को शुरू करने के लिए अधिक धन भी नहीं चाहिए। यह कम क्षेत्र और कम लागत पर अधिक उत्पादन देने वाला बिज़नेस है। इसकी शुरुआत बड़े या छोटे पैमाने पर की जा सकती है। सरकार भी इसमें सहयोग करती है। इस क्षेत्र में खर्च की तुलना में लाभ लगभग पांच से दस गुना अधिक होता है। जो किसान भाई को अच्छी कमाई दे सकती है।

Fish farming के तरीके

मछली पालन कई तरह से किया जा सकता है. लेकिन मुख्य रूप से इसे तीन तरीकों से ही किया जाता है.

सामान्य विधि (जाल विधि)

बिना किसी खर्च के मछली का पालन सामान्य तरीके से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से नहर, नदी, में जाल का बांध बना कर मछली पालन किया जाता है। इसमें प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली मछलियों को पकड़कर बाजार में बेची जाती है। इस विधि से मछली पालन केवल नदियों, नहरों या समुद्र तटीय क्षेत्रों में संभव है।

घर पर मछली पालन

घर पर मछली पालन करने के लिए बहुत कम जमीन की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया से छोटे पैमाने पर मछली पालन किया जाता है, जहां आसपास कोई प्राकृतिक स्थान नहीं है। इस प्रक्रिया में मछली पालन का व्यापार घर पर प्लास्टिक टैंक लगाकर या जमीन पर छोटे तालाब बनाकर शुरू किया जाता है। जो एक व्यक्ति स्वयं चला सकता है। शुरू करने में लगभग 30 से 40 हजार रुपये लगते हैं। जबकि उत्पादन से मिलने वाला लाभ बहुत अच्छा होता है। इस तरीके से किसान भाई एक हजार मछली पालकर एक लाख रुपये तक कमाई कर सकते है।

कृत्रिम रूप से बड़े तालाब बनाकर

बड़े पैमाने पर मछली पालन शुरू करना सबसे अच्छा माना जाता है। कृत्रिम रूप से तालाब बनवाकर इससे अच्छे मुनाफा कमाया जा सकता है। क्योंकि इस तरीके से बार-बार अधिक उत्पादन बहुत कम खर्च में मिलता है। इस तरह का व्यवसाय शुरू करने पर रखरखाव पर एक बार खर्च किया जाता है, लेकिन बाद में इससे निरंतर मुनाफा ही मिलता है। और इस तरह आप मछलियों को सही ढंग से देखभाल कर सकते हैं। जिससे मछलियों को नुकसान भी बहुत कम होता है।हाल ही में एक अतिरिक्त प्रणाली सामने आई है। जो बाईफ्लोक कहलाता है। जो कुछ हद तक कृत्रिम हैं। जिसमें मछली तैयार करने का खर्च और भी कम होता है। और प्राप्त उत्पादों से अधिक लाभ मिलता है।

Complete information about fish farming business / मछली पालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी

मछली पालन शुरू करने के लिए आवश्यक चीजें

मछली पालन को छोटे अस्तर से सुरु करने के लिए आम तौर पर एक लाख रुपये की लागत लगती है। लेकिन इसे बड़े पैमाने पर करने से पहले सरकार द्वारा रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। इसके बाद शुरू होता है। इसे शुरू करने के लिए बहुत कुछ आवश्यक है।

जमीन

इसे शुरू करने के लिए पहले जमीन चाहिए। अगर किसान भाइयों के पास अपनी जमीन है तो शुरू करना बहुत आसान है। लेकिन किसान भाइयों को अपनी खुद की जमीन नहीं है, तो वे रेंट पर जमीन लेकर शुरू कर सकते हैं।

टैंक का निर्माण

मछली पालन को शुरू करने के लिए सबसे पहले एक टैंक होना चाहिए। जो सीमेंट और कंक्रीट से बना हुआ हो। इसे बनाने के बाद कई सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्तमान में किसान भाई टैंक बाजार से बहुत सारे उपकरण खरीदकर उन्हें घर में छोटे पैमाने पर लगा सकते हैं। टैंक को ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां पानी नहीं बहता हो। इसके अलावा, जल निकासी को अच्छे से नियंत्रित किया जाय ताकि टैंको से बाद में आसानी से पानी बदला जा सके।

अगर आप मछली पालन शुरू कर रहे हैं तो, टैंक बनाना हमेशा सर्दी के मौसम में सुरु करें । क्योंकि मछलियों का विकास सर्दी के मौसम में रुकता है इसलिए वे सर्दियों में टैंक बनाने के समय तैयार हो जाते हैं। जिससे गर्मियों के मौसम में जल्दी मछली मिल सकती है।

मोटर पम्प

मछली उत्पादन में पानी भरने और बदलने के लिए मोटर पम्प की आवश्यकता होती है। क्योंकि एक टैंक में हजारों लीटर पानी होती है। जो भरने या बदलने के लिए बड़े मोटर पम्प की जरूरत होती है।

मछलियों का चारा और दवाई

खाना मछलियों को जीवित रहने और विकसित होने के लिए आवश्यक है। जो आम तौर पर हर जीव को चाहिए। लेकिन प्रत्येक मछली प्रजाति को खाने की जरूरत अलग होती है। जो आसानी से बाजार में मुर्गी के दाने की तरह मिलते हैं और मछलियों को दिए जा सकते हैं।

पानी और वातावरण जांच के यंत्र

मछली पालन के दौरान वातावरण की अनुकूलता को देखने के लिए थर्मामीटर और पानी में ऑक्सीजन की सांद्रता और pH मान जाँचने के लिए उचित उपकरणों की आवश्यकता होती है। ये सभी उपकरण आसानी से मार्किट में उपलब्ध हैं।

अनुकूल वातावरण तैयार करना

मछली पालन के दौरान वातावरण अनुकूल होना बहुत महत्वपूर्ण है। टैंक बनाने के स्थान पर मछलियों को गर्मी और सर्दी से बचाने के लिए टैंको को ढककर रखा जाता है। इसके लिए टैंको को बड़े पर्दों से ऊपर से ढका जाता है। इसे लगाने के लिए पक्की दीवारों के पोल या लोहे के पाइप बनाये जाते हैं

ऑक्सीजन की आपूर्ति के उपकरण

मछलियाँ पानी में रहकर ही ऑक्सीजन लेती है और विकसित होती हैं, इसलिए पानी ऑक्सीजन की मात्रा उचित होना चाहिए। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा एक सामान बनी रहनी चाहिए। पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर मशीनों से पानी में ऑक्सीजन का प्रवाह किया जाता है। अगर आपके पास मशीन नहीं है तो पानी को बदल दें।

मछलियों का चयन

मछली पालन में मछलियों का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। मछलियों का चयन कई चरणों से होता है।

वातावरण के आधार पर

वातावरण मछलियों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न तरह की मछली अलग-अलग जलवायु में पैदा होती है। जब बात मछली उत्पादन की है, तो उत्तर भारत के हरियाणा में कतला, राहू, मिर्गल और कामन कार्प जैसी किस्मों का पालन आसानी से किया जा सकता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कामन कार्प सबसे अच्छी प्रजाति हैं।

मछली के बाजार भाव के आधार पर

वातावरण के आधार पर चयन करने के बाद इसके बाजार मूल्य का नंबर आता है। जो मछली पालन का मुख्य लक्ष्य है। क्योंकि कोई भी व्यापारी अधिक मुनाफा प्राप्त करने के बारे में सोचता है। इसलिए कम खर्च में तैयार होने वाली मछली और बाजार में अधिक महंगी मछली हमेशा चुननी चाहिए।

प्रजाति के आधार पर

प्रजाति के आधार पर मछली का चयन करने के दौरान इसकी सबसे उन्नत प्रजातियों का ही चयन करना चाहिए। लेकिन खाने योग्य कुछ प्रजाति हैं जिन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

देशी प्रजाति

    • कतला

    सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली मछली कतला है। इसका पालन उत्तर भारत में अधिक होता है। यह सूक्ष्म शैवाल, कीड़ों के लार्वा, जलीय घास पात और सड़ी गली वनस्पति खाती है। जिससे इसके पालन की लागत कम होती है। जबकि इसका बाजार मूल्य बहुत अच्छा होता है। यह सिर्फ एक वर्ष में डेढ़ किलो से ज्यादा वजन की होती है। इसका अधिकतम वजन 60 किलो हो सकता है।

    • राहू

    इस प्रजाति की मछली भी बहुत जल्दी बढ़ती हैं। पानी में जमने वाली काई इसके जीवों का मुख्या भोजन है। पानी के पौधों की सड़ी हुई पत्तियों और अन्य घास पत्तियों को भी ये खाते हैं। यह जीव एक साल में ही एक फिट से अधिक हो जाती हैं। जिनका वजन एक किलो से अधिक होता है। इसका मूल्य मार्किट में बहुत अच्छा मिलता है।

    • मिर्गल

    राहू और कतला दोनों काफी तेजी से बढ़ते हैं। जो एक साल में 800 ग्राम से अधिक वजन वाली हो जाती है। इस प्रजाति की मछली सड़ी गली पत्तियों और मलबे को खाती है। जिससे उत्पादन से अधिक लाभ मिलता है और भोजन पर अधिक खर्च नहीं होता।

      विदेशी प्रजाति

      • कॉमन कार्प

      ये कॉमन कार्प मछली पानी में अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड और कम ऑक्सीजन की सांद्रता रहने पर आसानी से जिन्दा रह सकती है इसलिए ये अन्य मछलियों से अधिक सहनशील होती है। जो समशीतोष्ण क्षेत्र की मछली होने के बाद भी कम तापमान वाले क्षेत्रों में आसानी से विकसित होती है। इस प्रजाति की मछली सर्वभक्षी होती हैं और कृत्रिम भोजन को आसानी से खाती हैं। इसका वजन एक साल में लगभग दो किलो हो जाता है।

      • ग्रास कार्प

      ग्रास कार्प भी पानी में पाए जाने वाले पौधों को खाती हैं। यह भी स्थानीय वनस्पतियों, आलू, चावल की भूसी, सब्जियों के पत्ते और उनके तने को खाती है लेकिन अगर टैंक या तालाब के पानी में जलीय पौधों की कमी होती है तब उस इस्थिति में जीवों का विकास रुक जाता है। इस प्रजाति की मछली एक वर्ष में दो किलो से अधिक वजन की हो जाती है।

      • सिल्वर कार्प

      यह मछली प्रजाति सबसे तेजी से विकसित होती है। एक साल में ही इसके जीव तीन किलो से अधिक वजन वाले हो जाते हैं। इसके जीव वनस्पति प्लवक को खाते हैं। इसके जीवों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। पानी में ऑक्सीजन की कमी से जीव बहुत जल्दी मर जाते हैं। इसलिए इन्हें अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है।

      मछलियों को टैंकों में डालना

      चयनित मछलियों को खरीदकर टैंकों में डाला जाता है। टैंक में मछली डालते समय एक ही प्रजाति की मछलियों को कभी नहीं डालना चाहिए। एक टैंक में कम से कम पांच से सात प्रजातियों की मछलियाँ डालनी चाहिए। क्योंकि इससे उत्पादन निरंतर होता रहता है क्योंकि प्रत्येक प्रजाति की मछलियों का वजन अलग- अलग होता है। टैंक में मछलियों को डालने से पहले, प्रत्येक प्रजाति की मछलियों को एक साथ कैसे रहते ये जानकारी होनी चाहिए ।

      मछलियों की देखरेख

      टैंक में मछलियों को डालने के बाद उनकी देखभाल की जाती है। जीवों के विकास के लिए उन्हें हर दिन पर्याप्त मात्रा में भोजन देते रहना चाहिए। इसके अलावा, जीवों को अक्सर बीमारी भी होती है इसके लिए समय रहते उनकी देखभाल करनी चाहिए। जीवों में बीमारी फैलने से बचाने के लिए सोडियम या पोटेशियम परमैंगनेट को पानी में मिलाना चाहिए। पानी भी शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता का होना बहुत जरुरी है। इसके लिए निरंतर पानी की जांच करते रहने चाहिए। टैंकों में मछली पालन के दौरान पानी को कम से कम दो सप्ताह तक भरा रहने दें। तब पानी बदलें। क्योंकि इसके जीव साफ़ पानी में अच्छे से विकसित होते हैं

      मछलियों को टैंकों से कब और कैसे निकालें

      लगभग एक वर्ष बाद मछली पूरी तरह से तैयार हो जाती है। जब एक साल पुरानी मछली लगभग एक किलो या इससे अधिक वजन की हो जाती है, तो उसे जाल से निकाल देना चाहिए। जाल से बाहर निकलते वक्त केवल बड़ी मछलियों को ही पकड़ना चाहिए। और छोटी मछलियों को पानी में छोर देना चाहिए। पकड़ने के बाद मछलियों को बेचने के लिए भेज देना चाहिए। मछलियों को बेचने में बहुत अधिक मेहनत नहीं लगती। क्योंकि इसकी मांग सभी जगह है। इसलिए आप इसे आसपास की किसी मंडी में बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

      मछली उत्पादन में लाभ

      एक एकड़ में लगभग चार हजार मछली टैंक में डाली जाती हैं। जिनके भोजन और खरीद पर हर साल लगभग दो लाख रुपये खर्च होते हैं। एक साल बाद, हर मछली का औसत वजन एक किलो तक हो जाते है। एक एकड़ से एक बार में चार लाख से अधिक की कमाई हो सकती है अगर उनका बाजार भाव 100 रूपये प्रति किलो भी होता है।

      मछली उत्पादन के दौरान सावधानी

      मछली उत्पादन के दौरान काफी सावधानियां रखी जानी आवश्यक है। अगर नही रखा जाए तो इसमें काफी नुक्सान पहुँचता है.

      • टैंको को खुली जगह में बनाना चाहिए, जहाँ सूर्य की रोशनी सीधी पड़ती है और टैंको को ठंड और बारिश से बचाने के लिए भी कुछ करना चाहिए।
      • पानी से भरे टैंकों में घोंघे, सीप और अन्य कीटों को नहीं पालना चाहिए।
      • टैंको को खाने वाले मासाहारी जीवों से बचाना चाहिए। पानी में जाल बिछा के
      • ऑक्सीजन को पानी में बनाए रखें। इसके लिए टैंक की जांच करते रहें और पानी को बदलते रहें।
      • सर्दी के मौसम में मछलियों में बीमारी अधिक होती है। इसलिए इस समय विशेष ध्यान देना चाहिए।
      • उन्नत नस्ल का ही चयन करें, जो मछली के वातावरण और मुनाफे के अनुरूप है।

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