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Apple farming full details / सेब की खेती कैसे होती है? जानें, सेब की उन्नत किस्में और खेती का तरीका

भारत में कई फलों की खेती होती है। इसमें सेब की खेती (Apple farming) अच्छा मुनाफा देती है। यह खेती करने से किसान को कम लागत में अधिक लाभ मिलता है। क्योंकि सेब का मूल्य अन्य फलों की अपेक्षा बहुत अच्छा होता है यही कारण है कि सेब की बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है। आज हम आपको Kheti Veti ब्लॉग पे सेब उत्पादन के बारे में बता रहे हैं। उम्मीद है कि ये जानकारी आपको मदद करेगी।

Table of Contents

जानें, सेब खाने के फायदे (Benefits of Eating Apple)

स्वास्थ्य के लिहाज से भी सेब खाना बहुत फायदेमंद है। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति हर दिन एक सेब खाता है, उसके घर डॉक्टर कभी नहीं आता। डाक्टर भी आपको बीमार होने पर सेब खाने की सलाह देते हैं। इसमें अधिक पोषक तत्व भी हैं। इसमें बहुत सारे विटामिन हैं।

भारत में कहां-कहां होती है सेब इसकी खेती (Apple Farming in India)

जम्मू-कश्मीर के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्किम में सेब की खेती की जाती हैं। इसे अब बिहार, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है।

कैसा होता है सेब का पौधा / Apple Plant

सेब का वानस्पतिक नाम मैलस प्यूपमिला है। ये एक रोसासिए परिवार का पौधा है। यह एक गोल पेड़ है, जो आम तौर पर 15 मी. ऊंचा होता है। ये पेड़ मजबूत और फैले हुए होता हैं। पत्ते ज्यादातर स्पूर्स या लघु अंकुरों पर गुच्छेदार होते हैं। स्पेर्स पर भी सफेद फूल उगते हैं। माना जाता है कि यह पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया में पैदा हुआ था। इसमें संकर परागणित सिस्टम परागण को पूरा करता है।

Apple farming full details / सेब की खेती कैसे होती है? जानें, सेब की उन्नत किस्में और खेती का तरीका

सेब की खेती (Apple Farming) के लिए जलवायु और भूमि

सेब की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ मिट्टी, भूमि का pH 5 से 7 के बीच और खेत का जल निकास अच्छा होना चाहिए। इसके उत्पादन में जलवायु पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए अधिक ठंड वाला मौषम चाहिए। सर्दियों में फलों का अच्छा विकास करने के लिए पौधों को लगभग 200 घंटे सूर्य की धूप की भी आवश्यकता होती है।

सेब की खेती का उचित समय (Sev Ki Kheti)

नवंबर से फरवरी के अंत तक सेब का पौधा लगाया जा सकता है। लेकिन जनवरी और फरवरी में सेब उगाने का सबसे अच्छा महीना माना जाता है। नर्सरी से लाए गए पौधे एक वर्ष पुराने होने चाहिए और पूरी तरह से स्वस्थ होने चाहिए। पौधों को जनवरी और फरवरी में बोया जाता है। इससे पौधों को अधिक समय तक उचित वातावरण मिलता है, जिससे वे अच्छे से बढ़ते हैं।

सेब की उन्नत किस्में (Apple Varieties)

भारत में कई प्रकार का सेब लोकप्रिय है। इस क्षेत्र की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इन किस्मों का चयन किया जाता है। सन फ्यूजी, रैड चीफ, ऑरिगन स्पर, रॉयल डिलीशियस और हाइब्रिड 11-1/12 सबसे उन्नत सेब की किस्में हैं। इसके अलावा, विभिन्न तरह के सेब भी हैं। विभिन्न जलवायु और स्थानीय परिस्थितियों में उगाए जाने वाले कई प्रजातियां हैं, जिनमें टाप रेड, रेड स्पर डेलिशियस, रेड जून, रेड गाला, रॉयल गाला, रीगल गाला, अर्ली शानबेरी, फैनी, विनौनी, चौबटिया प्रिन्सेज, ड फ्यूजी, ग्रैनी स्मिथ, ब्राइट-एन-अर्ली, गोल्डन स्पर, वैल स्पर, स्टार्क

सेब की नई किस्म हरिमन-99

हरिमन-99, सेब का नवीनतम संस्करण है, और ये अच्छी उत्पादन देती है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के पनियाला गांव के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एचआर शर्मा ने इस किस्म को विकसित किया है। 22 से 23 राज्यों में हरिमन किस्म की खेती की गई है और हर जगह सफल हो रही है। यह किस्म भी 45 से 48 डिग्री तापमान पर फल देती है।

सेब की खेती की तकनीक / ऐसे होती है खेत की तैयारी (How to Cultivate Apple)

सेब के पौधों को खेत में लगाने से पहले जमीन को दो से तीन इंच गहरा करना चाहिए। रोटावेटर की सहायता से मिट्टी को भुरभुरा करें। इसके बाद खेत की भूमि को समतल करने के लिए ट्रैक्टर में पाटा लगाकर चलाएं, ताकि जल भराव नहीं हो। इसके बाद दस से पंद्रह फीट की दूरी पर गड्ढे बनाएं। गड्ढों को एक महीने पहले तैयार करना चाहिए।

ऐसे तैयार होता है सेब का पौधा

बीज और कलम बिधि से पौधों का तैयार किया जाता हैं। पुराने पेड़ों की शाखाओं को ग्राफ्टिंग और गूटी विधि से तैयार करके कलम से पौधों को तैयार किया जाता है। आप चाहें तो किसी भी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी इन्हें खरीद सकते हैं।

सेब के पौधे (Apple Fruit Plant) लगाने का तरीका/सेब की खेती का तरीका

सेब के पौधे भी आम पेड़ों की तरह लगाए जाते हैं। सेब के पौधे को 15 x 15 मिटर या 15 x 20 मिटर की दूरी पर लगाना चाहिए। नियमित रूप से, गड्ढा करके मिट्टी, पानी, खाद आदि मिलाकर पौधे लगाने चाहिए। गोबर से बनाया गया जैविक खाद अधिक उपयुक्त होता है।

सेब के पौधे/पेड़ को खाद व उर्वरक

सेब के पौधे को लगाने के लिए तैयार किए गए गड्ढे में एनपीके की आधा किलो की मात्रा को दस से बारह किलो गोबर की खाद के साथ अच्छी तरह से मिट्टी में मिला देना चाहिए। और पौधों को हर साल इसी मात्रा में उवर्रक देना चाहिए। पौधों के विकास के साथ उवर्रक को बढ़ाना चाहिए।

कब-कब करें सेब के पौधे  की सिंचाई

सेब के पौधों को बूंद-बूंद पानी से सिंचाई करने के लिए आप ड्रिप एरिगेशन का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सामान्य सिंचाई भी फ्लड एरिगेशन द्वारा की जाती है। पौध रोपण के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई करनी चाहिए। इसके पौधों को सर्दियों में केवल दो से तीन बार सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन गर्मियों में हर हफ्ते सिंचाई की जरूरत होती है। इसके अलावा बारिश के मौसम में सिंचाई केवल आवश्यकता अनुसार देनी चाहिए।

सेब में खरपतवार नियंत्रण

सेब के पौधों के आसपास उगी अनावश्यक पौधों को तोड़कर बगीचे से निकाल देना चाहिए। पौधे के आस – पास बार-बार ये प्रक्रिया करनी चाहिए। ताकि खरपतवार नहीं फैल सकें।

सेब में लगने वाले रोग और इसके नियंत्रण के उपाय

सेब का पौधा कई प्रकार की बीमारी से संक्रमित होता है। जब ये बीमारी लगता है तब पौधे का विकास रुक जाता है और इसका विपरीत प्रभाव फलोत्पादन पर पड़ता है। इसके लिए बीमारी को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है।

सेब क्लियरविंग मोठ रोग

इस बीमारी का लार्वा पौधे की छाल में छेद कर पौधे को संक्रमित कर देता है जिससे पौधे संक्रमित होकर नस्ट हो जाते है। इस बीमारी से बचाव के लिए 20 दिन के अंतराल पे तीन बार पौधों पर क्लोरपीरिफॉस का छिड़काव करना चाहिए।

सफेद रूईया कीट रोग

यह कीट रोगी पौधों की पत्तियों पर देखा जाता है। सफेद रूईया कीट से पौधों की जड़ों में गांठे बनने लगती हैं, और बीमार पत्तिया सूखकर गिर जाती हैं। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या मिथाइल डेमेटान का उपचार किया जा सकता है।

सेब पपड़ी रोग

सेब पपड़ी रोग के लगने पर फलों पर धब्बे फटा-फटा दिखाई देने लगते हैं। सेब पपड़ी रोग फलो के अलावा पत्तियों पर भी प्रभाव डालता है। इस बीमारी से बचने के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में मैंकोजेब या बाविस्टिन का छिड़काव करना चाहिए।

कब करें सेब की कटाई

फल सेब के पेड़ की किस्म पर निर्भर करते हैं। फल 130-135 दिनों के भीतर पूरी पुष्प पुंज अवस्था के बाद परिपक्व होते हैं। परिपक्व होने पर फलों का रंग, बनावट, गुणवत्ता और विशिष्ट स्वाद में परिवर्तन हो जाता है। फसल-कटाई के समय फल ठोस और एकसमान होने चाहिए। परिपक्वता के दौरान त्वचा का रंग पीला-लाल होना चाहिए। सेब के फलों की हाथ से चुनाई की सिफारिश की जाती है क्योंकि इससे अभियांत्रिक फसल-कटाई के दौरान फल गिरने की वजह से ब्रूजिंग कम होगा।

सेब के पेड़ से प्राप्त पैदावार और लाभ / Apple Production in India

सेब के पेड़ चौथे वर्ष से फल देने लगते हैं। किस्म और मौसम पर निर्भर करते हुए, एक सुप्रबंधित सेब का बगीचा 10 से 20 किलोग्राम प्रति पेड़ प्रति वर्ष की पैदावार देता है। 6 वर्ष बाद सेब का पौधा पूरी तरह विकसित हो जाता है और एक बार में पर्याप्त मात्रा में फल देता है। एक एकड़ में लगभग चार सौ सेब के पौधों को लगाया जा सकता है। इस तरह, किसान भाई अपनी खेती से बाजार मूल्य के अनुरूप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

सेब का भाव 

आम तौर पर सेब का बाजार मूल्य 100-150 रुपए प्रति किलो रहता है।

सेब की खेती पर सब्सिडी

20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब की खेती पर सब्सिडी बिहार में शुरू की जा रही है। 10 हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि विभाग किसानों को लगभग 50% सब्सिडी दे रही है। जिसमे एक हेक्टेयर पर लगभग ढाई लाख रुपये खर्च हो सकते है। सेब की खेती में निजी क्षेत्र के तहत विभिन्न जिलों के किसानों को जोड़ा जा रहा है। सेब की खेती का क्षेत्र विस्तार करने के लिए सरकार किसानों को तीन किस्तों में प्रति हेक्टेयर ढाई लाख रुपये दे रही है। पहली किस्त में 60 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। शेष धन दो अलग-अलग किस्तों में दिया जाएगा।

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सेब की खेती से संबंधित प्रश्न और उत्तर 

प्रश्न 1. सेब की खेती के लिए कौन सी किस्म अच्छी है?

उत्तर. सन फ्यूजी, रैड चीफ, ऑरिगन स्पर, रॉयल डिलीशियस और हाइब्रिड 11-1/12 प्रमुख सेब किस्मों हैं। यह भी एक नया हरिमन है जो अधिक तापमान को भी सहन कर सकता है। उस क्षेत्र की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सेब किस्मों का चयन किया जाना चाहिए।

प्रश्न 2. Government सेब की खेती करने पे सब्सिडी का लाभ देती है?

उत्तर. राज्य सरकारें अपने स्तर पर सेब की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी का लाभ देती हैं। बिहार में सेब की खेती करने वाले किसानों को पचास प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है।

प्रश्न 3. सेब की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त रहती है?

उत्तर. सेब की खेती के लिए गहरी उपजाऊ और दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। सेब की खेती में भूमि का पीएच मान 5 से 7 के मध्य होना चाहिए। खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 4. कहां से ख़रीदे सेब के पौधे ?

उत्तर: आप सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से सेब के पौधे खरीद सकते हैं।

प्रश्न 5. सेब के फल पे धब्बे फटे – फटे धब्बे दिखाई दे रहे है इसके लिए क्या करे

उत्तर. यह सेब पपड़ी रोग है। इसे नियंत्रित करने के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में मैंकोजेब या बाविस्टिन का छिडक़ाव करना चाहिए।


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