पौधों में कुछ विशेष plant nutrients (प्लांट न्यूट्रिएंट्स) होने चाहिए ताकि वे सर्वोत्तम रूप से विकसित हो सकें और अधिक उत्पादन दे सकें।
पौधों को अपना सामान्य विकास करने के लिए कुछ nutrients की जरूरत होती है, जिनमें से कुछ अधिक मात्रा में आवश्यक होते हैं, जिन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स कहा जाता है, और कुछ कम मात्रा में आवश्यक होते हैं जिन्हें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स या ट्रेस nutrients कहते हैं। जब पौधे को इन सभी पोषक तत्वों में से कोई भी नहीं मिलता है, तो पौधे में पोषक तत्वों कमी होने के लक्षण दिखाई देते हैं।
पौधों को Plant Nutrients की आवश्यकता के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
Table of Contents
Plant macronutrients
Plant macronutrients nutrients को दो भागो में बिभाजित किया गया है Primary macronutrients nutrients और Secondary macronutrients nutrients
Primary macronutrients in plants
इन मैक्रोन्यूट्रिएंट की पौधों को स्वस्थ रूप से विकसित होने के लिए अधिक मात्रा चाहिए। पौधे के मूल पोषक तत्वों में निम्नलिखित हैं:
- Nitrogen (N)
- Phosphorus (P)
- Potassium (K)
Secondary macronutrients in plants
सेकेंडरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स कम मात्रा में पोधो को जरुरत होती है, लेकिन प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की तरह ही यह पौधों की स्वस्थ वृद्धि और बिकाश के लिए आवश्यक होती हैं। सेकेंडरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स तीन प्रकार के होते है:
- Calcium (C)
- Magnesium (Mg)
- Sulphur (S)
Plants Micronutrients (Trace Elements)
पौधों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की तुलना में प्राथमिक या द्वितीयक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की अधिक आवश्यकता होती है। लेकिन ऐसा नहीं है की सूक्ष्म पोषक तत्वों का जरुरत पौधो को नहीं होता तो आगे जानते है माइक्रो न्यूट्रिएंट्स जो पौधों को जरुरत होती है वो कौन-कौन से है:
- जिंक (Zn)
- लोहा (Fe)
- मैंगनीज (Mn)
- मोलिब्डेनम (Mo)
- कॉपर (Cu)
- बोरॉन (B)
पौधों के लिए आवश्यक Plant nutrients और उनके कार्य
जब पौधा को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते, तो वह अपना जीवन चक्र पूरा नहीं कर सकता, बीज अंकुरित नहीं हो सकते, जड़ों, तनों, पत्तियों या फूलों को ठीक से विकसित नहीं कर सकता और कुछ परिस्थितियों में तो पौधे खुद ही मर जाते है। अब हम जानेगे की पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के क्या कार्य और उनकी कमी से क्या लक्षण उत्पन्न होते हैं।
Primary macronutrients in plants
- नाइट्रोजन (N) – Nitrogen plant nutrients
पौधों के लिए नाइट्रोजन पहला आवश्यक पोषक तत्व है, जो पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण, गहरे हरे पत्ते के रंग और मजबूत, जोरदार विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। पत्तेदार पौधे सभी को नाइट्रोजन की बहुत जरूरत होती है, जैसे लॉन घास (lawn grass), गेहूं (wheat), जई (oats), छोटी अनाज वाली फसलें (small grain crops) और अन्य। हरे पत्तेदार सब्जियों के लिए उर्वरक खरीदते समय ध्यान दे की उसमे नाइट्रोजन बहुत अधिक होना चाहिए। इसलिए, सभी उर्वरको में NPK के अनुपात में N पोषक तत्व सबसे अधिक होता है।
पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण – नाइट्रोजन की कमी से पौधे के पुराने पत्ते हल्के हरे और पीले हो जाते हैं। नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधे की पत्तियां गिरने लगती हैं।
अधिक नाइट्रोजन भी पौधों को मारता है। अधिक नाइट्रोजन का प्रयोग फशल में नहीं करनी चाहिए। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा के कारण पोधो में रोग और कीटनाशक का प्रकोप भी अधिक हो जाता है पोधो के पत्तियों पर मृत धब्बे दिखाई देने लगते है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी घटने लगती है।
- फास्फोरस (P)- Phosphorous plant nutrients
फॉस्फोरस का उपयोग पौधे मुख्य रूप से जड़ वृद्धि और विकास में इस्तेमाल करते है। जिन पौधों में अधिक फास्फोरस होता है, वे अधिक फूल देंगे और उनके फल बेहतर और तेजी से पकेंगे। फॉस्फोरस पोषक तत्व नवजात पेड़ों और झाड़ियों के साथ-साथ बारहमासी फूलों के लिए भी आवश्यक हैं। पत्तेदार सब्जियों और घास की अपेक्षा पेड़ों और झाड़ियों को अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए इन पौधों और झाड़ियों के लिए उर्वरक में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा कम होनी चाहिए।
पौधों में फॉस्फोरस की कमी के लक्षण – फॉस्फोरस की कमी से पोधो में फल , फूल और जड़ों का सही विकास नहीं हो पाता, जिससे पौधे छोटे होते हैं और पत्तियों में बैंगनी रंग की धब्बे दिखाई देते है। फॉस्फोरस की कमी से पौधा खराब बीज और फल देता है।
- पोटेशियम (K) – Potassium plant nutrients
सभी प्रकार के पौधों के लिए पोटेशियम एक महत्वपूर्ण मैक्रोन्यूट्रिएंट्स है, जो उनके सभी प्रकार के स्वास्थ्य को सुधार करता है। यह पौधों को अधिक तापमान सहन करने में मदद करता है। पोटेशियम पौधों में पानी को स्थानांतरित करने में मदद करता है, पौधों की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है और पौधों को रोगों से लड़ने में मदद करता है लेकिन पोटेशियम अधिकांश मिट्टी में पूर्ण रूप से उपस्थित होता है इसलिए आप देखते होंगे जब आप कोई भी NPK खरीदते हैं, तो उसमे पोटेशियम (K) का मान कम होता है क्योंकि अधिकांश मिट्टी में पोटेशियम होता है।
पौधों में पोटेशियम की कमी के लक्षण – पोधो में जब पोटैशियम की कमी होती है तब उसके पुराने पत्तियों के किनारे भाग पे ब्राउन रंग के झुलसे हुए दिखाई देते है। पौधा पूरा कमजोर हो जाता है और फल ठीक प्रकार से नहीं आते है इसका पूरा प्रभाव फशल के उत्पादकता पे पड़ता है।
ज्यादातर रेतीली मिट्टी और अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाई जाने वाली मिट्टी में पोटेशियम की कमी देखने को मिलती है। ऐसे मिट्टी में इसकी कमी को पूरा करने के लिए वर्मीकम्पोस्ट , नीम की खली , गोबर का खाद (FYM) या Potassium युक्त खाद का प्रयोग करना चाहिए।
Secondary macronutrients in plants
- कैल्शियम (Ca) – Calcium plant Nutrients
कैल्शियम सामान्य पौधे की कोशिकाओं को मजबूत रखने, उनके अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और युवा जड़ों के अच्छे विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। कैल्शियम पौधों में कोशिका भित्ति बनाने में भी मदद करता है।
पौधों में कैल्शियम की कमी के लक्षण – कैल्शियम की कमी से पौधे की कोशिकाएं कमजोर होती जाती हैं, जिससे पौधे का संवहनी तंत्र नष्ट हो जाता है, जो सभी पोषक तत्वों का अवशोषण कम करता है। टहनियों और जड़ों के बढ़ते सिरों पर इसके लक्षण पहले दिखाई देते हैं।
कैल्शियम एक गतिहीन तत्व है, इसलिए जब इसकी कमी होती है तो पौधा कैल्शियम को नई पत्तियों में स्थानांतरित नहीं कर पता है। जिससे नई पत्तियां अक्सर मुरझाने लगती हैं और पत्तियों पे मृत धब्बे बनने लगते हैं। अति अम्लीय मिट्टी में ज्यादातर पौधों में कैल्शियम की कमी देखने को मिलता है।
- मैग्नीशियम (Mg) – Magnesium plant Nutrient
मैग्नीशियम पौधों में बीज बनाने में सहायता करता है। मैग्नीशियम क्लोरोफिल में समावेशित होता है, इसलिए यह पौधों के गहरे हरे रंग और प्रकाश संश्लेषण से भोजन बनाने में एक आवश्यक प्लांट मैक्रोन्यूट्रिएंट्स है। मैग्नीशियम पौधों में शर्करा, प्रोटीन, तेल और वसा का निर्माण करता है, फास्फोरस का वाहक भी है और अन्य पोषक तत्वों (विशेष रूप से फॉस्फोरस) के अवशोषण को नियंत्रित करता है।
पौधों में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण – मैग्नीशियम की कमी के लक्षणों में हरी पत्तियों की शिराओं के बीच धब्बेदार पीलापन और पुरानी पत्तियों की शिराएं शामिल हैं। पीले धब्बों पर ब्राउन रंग का होना और पत्तियां गिर जाना शामिल हैं। पौधों में कम फॉस्फोरस (Veins) मेटाबोलिज्म होने के कारण पत्तियां लाल-बैंगनी हो सकती हैं और बीज का उत्पादन कम हो जाता है। पौधों में ठंड (Cold)लगने का खतरा बढ़ जाता है तथा पत्तियाँ पतली, भंगुर होकर जल्दी गिर जाती हैं।
मैग्नीशियम की कमी के कारण – मैग्नीशियम की कमी सबसे अधिक जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी में होती है और नाइट्रोजन (N)और पोटेशियम (K) के उच्च स्तर वाली मिट्टी में होती है।
- सल्फर (S) – Secondary plant Nutrients
सल्फर पौधों की गहरी हरे रंग को बनाए रखने में मदद करता है और उनकी वृद्धि को अधिक जोरदार बनाए रखता है। पौधों को क्लोरोफिल बनाने के लिए सल्फर की जरूरत होती है। पौधों को सल्फर और फास्फोरस दोनों की जरूरत है।
सल्फर पौधों में महत्वपूर्ण एंजाइम बनाने और प्रोटीन बनाने में मदद करता है। सल्फर एक मृदा कंडीशनर (soil conditioner) भी है, जो मिट्टी में सोडियम की मात्रा को कम करने में मदद करता है। सल्फर एक विटामिन है जो सरसों, प्याज और लहसुन को स्वाद देता है। सल्फर मिट्टी में बहुत कम होता है।
पौधों में सल्फर की कमी के लक्षण – पौधों को सल्फर की बहुत छोटी मात्रा की जरूरत होती है, लेकिन इसकी कमी से पौधों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। सल्फर की कमी से पौधे मंद वृद्धि, विलंबित परिपक्वता और छोटे स्पिंडली पौधे (spindly plants) या नुकीले पौधे विकसित होते हैं।
- बोरॉन (B) – Boron Secondary plant Nutrients
बोरॉन पौधों की कोशिका वृद्धि और चयापचय को नियंत्रित करता है। यह पौधों को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। अगर इसकी मात्रा ज्यादा दे दिया गया तब ये पोधो के लिए विषाक्तता का कारण बन सकता है।
बोरॉन सब्जियों में बहुत महत्वपूर्ण है। यह प्रोटीन संश्लेषण, कोशिका भित्ति विकास, कार्बोहाइड्रेट चयापचय, शर्करा स्थानांतरण, पोलन ग्रेन जर्मिनेशन और बीज विकास के लिए आवश्यक है। रेतीली मिट्टी में बोरॉन आसानी से पानी के साथ बहता है क्योंकि यह गतिशील है।
पौधों बोरॉन की कमी के लक्षण – पौधों में बोरॉन कम होने से मोटे, मुड़े हुए, मुरझाए हुए और क्लोरोटिक (हरिमाहीन) पत्ते बनते हैं। इसके अलावा, पौधों में बोरॉन की कमी के कुछ प्रमुख लक्षणों में नरम और विक्षिप्त धब्बे, कम फूल लगना या परागण की कमी शामिल है।
- क्लोरीन (CI) – Secondary plant Nutrient Chlorine
क्लोरीन पौधों के प्रकाश संश्लेषण में एक महत्वपूर्ण हिस्सा निभाता है। यह पौधों को रोगों से बचाने के लिए आवश्यक होता है। पत्ती के छिद्र, या रंध्र (stomata), से गैसों को प्रवाहित करने के लिए क्लोराइड का मुख्य भूमिका रहता है इसलिए अगर क्लोरीन की कमी पोधो में हो गयी तो पौधे प्रकाश संश्लेषण ठीक तरीके से नहीं कर पाएंगे जिससे पोधो के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।पौधों में पोटेशियम की वृद्धि को संतुलित करने में भी यह पोषक तत्व महत्वपूर्ण है।
- कॉपर (Cu) – Micronutrients in plants Copper
कॉपर एक बहुत जरूरी प्लांट न्यूट्रीएंट है। क्योंकि पौधों को अधिक कॉपर की जरूरत नहीं है यह पौधों में एंजाइम को सक्रिय करता है जो लिग्निन (lignin) को संश्लेषित करने में मदद करता है। लिग्निन प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में शामिल होने के साथ-साथ यह फूलों में रंग और कुछ सब्जियों में स्वाद देता है।
कॉपर स्थिर होता है, इसलिए यदि पौधों में कॉपर की कमी होती है, तो इसका असर उसके नए विकास पर होगा। कॉपर की कमी से पौधों में लगने वाली नई पत्तियाँ फटने लगेंगी और पत्तियों की शिराओं के बीच क्लोरोसिस (leaf chlorosis) होगा। यदि यह बहुत कम है, तो पत्तियां सूख सकती हैं और पौधे से अलग हो सकती हैं।पौधों में कॉपर की कमी से लीफ नोड्स एक साथ और पास-पास बढ़ने लगेंगे, जिससे प्लांट में स्क्वाट लुक आता है।
- आयरन (Fe) – Micronutrients in plants Iron
पौधों में आयरन क्लोरोफिल बनाने सहित अन्य जैव रासायनिक प्रक्रियाएं में हिस्सेदार होती हैं। सभी पौधों को आयरन चाहिए, आयरन पौधे के कई महत्वपूर्ण कार्यों, जैसे एंजाइम और क्लोरोफिल उत्पादन, नाइट्रोजन फिक्सिंग (नाइट्रोजन फिक्सिंग), पौधे की वृद्धि और मेटाबोलिज्म, के लिए आवश्यक है।
आयरन की कमी के लक्षण – पौधों में आयरन की कमी का सबसे स्पष्ट लक्षण लीफ क्लोरोसिस (leaf chlorosis) है, इस स्थिति में पौधे की शिराएं (veins) हरी रहती हैं, लेकिन पत्तियां पीली हो जाती हैं। लीफ क्लोरोसिस आमतौर पर पौधे में नई वृद्धि के टॉप पर शुरू होता है और अंततः पौधे के पुराने पत्तों पर प्रभाव डालता है। पौधे की खराब वृद्धि और पत्ती का नुकसान अन्य संकेत हैं।
- मैंगनीज (Mn) – Micronutrients in plants Manganese
मैंगनीज क्लोरोफिल में नहीं होता। लेकिन मैंगनीज प्रकाश संश्लेषण में शामिल होता है, इसलिए मैंगनीज की कमी के लक्षण मुख्य रूप से मैग्नीशियम के समान हैं।
पौधों में मैंगनीज की कमी के लक्षण – मैंगनीज की कमी सबसे पहले नई पत्तियों पर दिखाई देती है। मैंगनीज की कमी से पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं, जो इंटरवेइनल क्लोरोसिस (interveinal chlorosis) का कारण बन सकती हैं।
- मोलिब्डेनम (Mo) – Molybdenum Micronutrients in plants
पौधों को नाइट्रोजन का उपयोग करने में मोलिब्डेनम साथ देता है। मोलिब्डेनम मिट्टी से लिए गए नाइट्रेट्स का उपयोग करने में सक्षम बनाता है वैसे पौधे को जो गैर-फलियां वाली फसले (जैसे मक्का, सूरजमुखी, लेटस, टमाटर और फूलगोभी) होती है।
पौधे में मोलिब्डेनम की कमी के लक्षण – जब पौधे में मोलिब्डेनम की कमी होती है, तो पत्तियों में नाइट्रेट्स जम जाते हैं, जिससे पौधा उनका उपयोग प्रोटीन बनाने में नहीं कर पाता है। इससे नाइट्रोजन की कमी के समान लक्षण पैदा होते हैं और पौधे का विकास रुकता है। पत्तियों के किनारे नाइट्रेट्स के संचय से झुलस सकते हैं।
- जिंक (Zn) – Plants micronutrients zinc
जिंक पौधों को एंजाइम और हार्मोन बनाने में मदद करता है। पत्तियां इसका उपयोग करती हैं, तथा फली और बीज बनाने के लिए पोधो को इसकी जरूरत होते है। पौधे को क्लोरोफिल बनाने में मदद करना भी जिंक का काम है।
पौधों में जिंक की कमी के लक्षण – जब मिट्टी में जिंक की कमी होती है, तो पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पत्तियां मुरझा जाती हैं। जिंक की कमी से पौधों में क्लोरोसिस नामक बीमारी उत्पन्न होती है, जिसके कारण पत्तियों की शिराओं के बीच के ऊतक पीले हो जाते हैं। जिंक की कमी में क्लोरोसिस अक्सर तने के पास पत्ती के आधार को प्रभावित करता है। क्लोरोसिस पहले निचली पत्तियों पर होता है, फिर धीरे-धीरे पूरे पौधे में फैलता है। गंभीर परिस्थितियों में, ऊपरी पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं और निचली पत्तियां ब्राउन या बैंगनी रंग की होकर मर जाती हैं,
जब आप पौधे को देखते हैं तो जिंक की कमी को अन्य ट्रेस तत्वों या सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से अलग करना मुश्किल है क्योंकि सभी लक्षण समान हैं। मुख्य अंतर यह है कि जिंक की कमी से निचली पत्तियों पर क्लोरोसिस होता है, जबकि आयरन, मैंगनीज या मोलिब्डेनम की कमी से ऊपरी पत्तियों पर क्लोरोसिस होता है।
मिट्टी में कौन सी खाद डालनी चाहिए, कैसे पता करें? —
पौधे की वृद्धि और विकास के लिए प्राथमिक, द्वितीयक और ट्रेस पोषक तत्वों का सही संतुलन होना चाहिए। और पौधे खराब प्रदर्शन करेंगे जब ये रासायनिक पोषक तत्व सही संतुलन में नहीं होंगे।
मिट्टी परीक्षण की मदद से आप मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते हैं और उसके अनुसार खाद का चयन कर सकते हैं। मिट्टी के नमूने को एक स्थापित, विश्वसनीय प्रयोगशाला में भेजें। परीक्षण से पहले आपको एक फॉर्म भरने को कहा जाएगा। आपको मिट्टी में उगाई जाने वाली फसलों की भी जानकारी देनी होगी। मिट्टी परीक्षण की रिपोट से पता चलता है कि मिट्टी में किस प्रकार के पोषक तत्वों की कमी है और कौन सा उर्वरक उगाई जाने वाली फसल के लिए उपयुक्त होगा।
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